Nark - 1 in Hindi Horror Stories by Priyansu Jain books and stories PDF | नर्क - 1

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नर्क - 1

एक अद्भुत सा दिव्य प्रकाश, जिसका कोई अंत नजर न आ रहा था और उस प्रकाश में बनती एक धुंधली सी आकृति। उस आकृति के सामने हाथ बांधे एक लड़का खड़ा था जो पहनावे और शरीर की बनावट से कोई योद्धा ही लग रहा था। उसके योद्धा होने की पुष्टि उसके हाथ में थमी तलवार और पीठ पर टंगे फरसे से हो रही थी। उसकी आँख में आंसू थे, वो चुपचाप सुन रहा था।

वो बोला-" पिताजी मानता हूँ, भाई ने जो किया वो गलत था। उसकी वजह से कई ग्रहों का जीवन नष्ट हो गया। परन्तु पिताजी आखिर वो भी तो आपका बेटा है। इस सृष्टि में आपकी इच्छा के बिना एक भी सांस नहीं ली जाती, फिर मेरे भाई ने ऐसा कैसे कर दिया वो भी आपकी जानकारी में आये बगैर?? माफ कीजियेगा पिताजी मैं आपसे सवाल कर रहा हूँ, परन्तु मेरा हृदय दुःख के बोझ से फटा जा रहा है। हम दोनों भाई हमेशा से साथ रहे, साथ खेले, आपकी छाँव में पले-बढे़। अब मेरा भाई मुझे छोड़ हमारे परिवार से विश्वासघात करके चला गया। उसने बुराई का रास्ता चुन लिया, इस से बुरा और क्या हो सकता है?? पिताजी विनती है आपसे, उसके साथ-साथ मुझे भी मिटा दीजिये। मैं न आपके बिना रह सकता हूँ न ही उसके बिना.. और उसके किये गए विश्वासघात से अब मेरी जीने की इच्छा ही ख़त्म हो गयी है। या फिर मैं किसी ऐसी जगह चला जाता हूँ जहाँ बस मैं अकेला ही रहूं।"

उस ऊर्जा से आवाज आयी-" मेरे बेटे, जब मैंने सबसे पहले तुम लोगों को बनाया था तब तुम लोगों की नन्हीं नन्हीं उँगलियों को पकड़ कर मुझे जो अनुभूति हुई वो मैं तुम्हें समझा नहीं सकता। सबको ऐसा क्यों लगता है कि सर्वशक्तिमान होना ही मेरी पहचान है जबकि मैं खुद को एक पिता के रूप में देखता हूँ जिसे कुछ ज्ञान है। मेरे बेटे सब कुछ जान ने वाला कभी सुखी नहीं रहता हे जान लो क्योंकि जो कुछ भी होता है उसका बोझ उसे ही उठाना पड़ता है।

सबको ये लगता है कि मेरी इच्छा के बिना कुछ नहीं चलता पर अगर ऐसा ही होता तो मैं सृष्टि निर्माण करता ही क्यों?? मैंने कुछ भी निरर्थक नहीं किया। मैं किसी को नहीं चलाता, मैंने तो सबको बुद्धि और विवेक दिया ही है। कोई उसे अगर गलत कार्य में लगाता है तो मैं क्या कर सकता हूँ। जहाँ तुम्हारे भाई ने हमेशा से वो किया जो उसकी नजर में मुझे खुश करे वहीं तुमने हमेशा वो किया जो तुम्हें मेरे लिए सही लगा। इसके लिए तुम कई बार मेरे खिलाफ भी गए। यदि मैं ही सब चलता तो बताओ कि ऐसा भी क्यों हुआ?? तुम बहुत शक्तिशाली हो, और शक्ति होना ही एक योद्धा के लिए पर्याप्त नहीं होता। कई बार उसे अपने विवेक से कठोर निर्णय भी लेने होते हैं। तुम इस ब्रह्माण्ड के सर्वशक्तिशाली जीवों में से एक हो। तुम्हारी जिम्मेदारी उसी अनुपात में अधिक होती है।

"पर पिताजी.....??"

" मेरे बेटे तुम बच्चों ने ही मुझे एहसास दिलाया है कि पिता क्या होता है, उसका प्रेम क्या होता है?? सबको ये लगता है कि मुझे कभी दुःख नहीं होता पर अपनी संतान के लिए मुझे भी दुःख होता है। मैंने भविष्य इस तरह नहीं लिखा कि यही होगा मैंने इस तरह लिखा कि यदि ऐसा करोगे तो ऐसा होगा और वो करने का सामर्थ्य और बुद्धि मैंने सबको दी। किसी के साथ यदि अन्याय होता है तो उसे अन्याय करने का हक नहीं मिलता बल्कि प्रतिकार का हक है। सब के कर्म ही उनके भविष्य का निर्धारण करते हैं और तुम्हारे भाई के कर्म भी उसी के भाग्य का निर्माण करेंगें। मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हारा पिता हूँ।
मेरे बच्चे, तुम विवेकशील हो, समर्थ हो, तुम अपने विवेक से निर्णय लो कि तुम्हें तुम्हारे भाई के मामले में क्या करना है। मैं साफ देख पा रहा हूँ कि आगे भविष्य में बहुत भयानक और बड़ा संकट आने वाला है, जो निर्धारण करेगा कि धरती का भविष्य कैसा होगा। तुम पूरी तरह से दबाव मुक्त हो कर अपना निर्णय स्वयं लो और उस पर कार्य करो।

तुम उसे ढूंढो, फिर अपने विवेक से तय करो कि आगे क्या करना है। मैं तुम्हे इसके लिए धरती पर भेज रहा हूँ। परन्तु तुम वहांँ बिना किसी शक्ति के साधारण इंसान की तरह कार्य करोगे। तुम वहांँ अमर न होवोगे, तुम भविष्य न देख पाओगे। तुम्हारे अवचेतन मस्तिष्क में तुम्हारा ज्ञान और तुम्हारी हिम्मत ही तुम्हारा मार्गदर्शन करेगी। तुम्हारे अंदर दर्द सहने की क्षमता औरों से 10 गुना है यही तुम्हारी विशेसता होगी। तुम्हारा ये फरसा तुम्हें वहीं मिलेगा। इसे ढूंढने पर तुम वापस मेरे पास पूर्ण रूप में लौट आओगे। यदि तुम चाहो तो इंकार कर सकते हो।

योद्धा-" मैं जरूर जाऊंगा पिताजी। मैं समझ गया हूँ कि हर जीव को अपना निर्णय लेकर उस अनुसार कर्म करने का अधिकार होता है। मेरे भाई ने भी वही किया, अब मैं भी वही करूँगा।"

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"अचानक उस की नींद टूट गयी, ऐसे लगा जैसे वो काफी समय से सोया हुआ था-" बड़ा अजीब सा ही सपना था जैसे भगवान अपने बेटे से बात कर रहे हैं। पर सच में कोई भगवान थोड़ी न होते है?? ये सब तो कुछ बेवकूफों ने कल्पनाओं के घोड़े उड़ा दिए। हहहहहह..... ज्यादा हॉलीवुड पिक्चर्स देखने से यही होता है। चल पियूष कुमार उठ ही जा अब, आलरेडी बहुत लेट हो गयी है। आज मीटिंग भी है। इस से तुम्हें लाखों डॉलर्स का प्रॉफिट होना है और कोई भगवान् तो हो न हो पैसा जरूर भगवान है। जल्दी रेडी हो जाता हूँ 8 बज गए हैं।"

To be continued.....